Monday, 17 August 2020

Main kartik bol raha hu मै कार्तीक बोल रहा हूँ ...immature grand-son.

 i got this inspiration from FM radio (all rights reserved for them offcource)


i guess this is fantastic formate to comment on current affairs.

One way its like 'vikram aur betal' theme where n number of stories are posible !!

every time kartik calls his dad and gets irritated with dad's poetry, terrible English and phylosophy and requests dad to disconnect.




my script attempt
script-5: 18-Aug-2020

Phone की ring बजती है....

कार्तीक : मै कार्तीक बोल रहा हूँ

डॅड : बोलो बेटे. का बात है ?

कार्तीक : डॅड,
महाराष्ट्र के एक बहूत ही सिनीयर लीडरने, अपने पोते को फटकार लगाई कि वोह बहूत immature है और उसकी बातोंको वह लीडर कौडी की भी किमत नही देते.
पोते से जुर्म यह हुवा कि उसने
राममंदिर का पूजन की बधाई दी और "जय श्रीराम" कह दिया जो की इनकी पार्टी के उसूलोंके खिलाब है !!!!

क्या यह सही है?

डॅड : देखो बेटे, तुम्हारी बाते सुननेके बाद कुछ पंक्तीया याद आ रही है..
मुलाहिजा अर्ज करता हूँ

कार्तीक : डॅ....ड

डॅड :  पोता ये गाने गाना चाहीये,

दादे अब्बा,दादे अब्बा मान जाओ,
छोडो सारा गुस्सा,
जरा हँस के दिखाओ....
दादे अब्बा दादे अब्बा मान जाओ.

या फिर

बडे मिया दीवाने,ऐसे ना बनो,
जमाना क्या चाहे,हम से सुनो.

या फिर

मै हो गया बदनाम,
मुझको बुढ्ढा  मिल गया,
मै क्या करु राम,
मुझे बुढ्ढा मिल गया !!

बेटे,कुछ पाचसो साल बाद यह शुभघडी आयी है, सब को खुष होना चाहीये.

कार्तीक : इसका मेरी प्राॅब्लेमसे क्या connection ?

डॅड: देखो बेटे,हालाखी इसमें दो राय नही है  की......
immature पोता नही,
immature तो दादाजी है.
कैसे?
जमाना बदल गया है ,अब minority नही majority को खुष करने के दिन आ गये.यह बात smart पोता तो समझ गया पर अडीयेल दादाजी नही.

दूसरी बात, क्या तुमने गौर किया? दादाजी कौडीयो की बात करते है,जब के जमाना digital currency और online payment की बात करता है.

कार्तीक : आप कहना क्या चाहते हो?

डॅड : ये के दादाजी बहूत पिछे रह गये है.
दादाजी को एक चाभी मिली थी, वोट बँककी राजनिती और जुम्माचुम्मा की. परंतु एक ही चाबी से क्या नये जमानेके सारे ताले खुलेंगे क्या?? one key cannot open all locks bete.

वैसै भी धोकाधाडी करनेवाला श्रीराम की नीती नही समझ पायेगा.

रघुकुल रीत सदा चल आई,

 प्राण जाए पर वचन न जाई


कार्तीक : डॅड phone जल्दी से रखो, दूसरे call waiting में है

डॅड: जो रामजी की ईच्छा बेटे.







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